ज़िंदगी जब उम्मीदों से खाली हो जाए, तो हर दिन बेरंग सा लगने लगता है।
इस ब्लॉग में हम आपके लिए लाए हैं 240 Berang Zindagi Shayari — वो शब्द जो आपकी ख़ामोशी को आवाज़ देंगे। आज का युवा, चाहे वो रिश्तों में उलझा हो, सफलता की दौड़ में थका हो या बस अकेलेपन से जूझ रहा हो — हर किसी को कुछ ना कुछ ऐसा महसूस ज़रूर होता है जिसे कह पाना मुश्किल होता है। ये शायरी उसी दिल की आवाज़ है, जो आपको इंस्टाग्राम कैप्शन से लेकर व्हाट्सएप स्टेटस तक में अपनी बात कहने की आज़ादी देगी — वो भी नए अंदाज़ में, आज के ज़माने की सोच के साथ।
- Berang Zindagi Shayari in Hindi
- Berang Zindagi Shayari Quotes in Hindi
- Berang Zindagi Shayari for Single
- Berang Zindagi Shayari for Men
- Berang Zindagi Shayari for Girl
- Berang Zindagi Shayari Short
- Berang Zindagi Shayari Captions for Instagram in English
- Berang Zindagi Shayari for Facebook
- Berang Zindagi Shayari for WhatsApp Status
Berang Zindagi Shayari in Hindi
ज़िंदगी का रंग अब धुंधला सा लगता है,
मुस्कान भी अब तो बोझ सा लगता है।
किसी की यादों ने ऐसा रंग छीना,
आईने में भी चेहरा अजनबी सा दिखा।
जो दिल कभी खिलता था फूलों सा,
अब वीरान पड़ा है कब्रों सा।
रौशनी थी कभी इन आंखों में,
अब हर सपना धुंधला सा दिखता है।
पहले हर मौसम में बहार लगती थी,
अब सावन में भी सूखी ज़िंदगी लगती है।
रिश्तों की भीड़ में तन्हा हो गया,
ज़िंदगी का रंग बस धुंआ हो गया।
भीड़ में हूं मगर कोई अपना नहीं,
ये बेरंग सी ज़िंदगी अब सपना नहीं।
पहले जज़्बात थे, अब बस आदतें हैं,
दिल की गलियों में अब खामोशियाँ हैं।
चाय भी फीकी लगती है अब,
जब ज़िंदगी में कोई मिठास नहीं बची।
हँसते हैं पर दिल से नहीं,
ज़िंदगी की रंगत अब पहले जैसी नहीं।
ना कोई शिकवा, ना कोई जवाब,
अब ज़िंदगी सिर्फ़ एक किताब।
आँखों से आँसू भी अब रूठ गए,
शायद वो भी इस बेरंग दिल से ऊब गए।
जिसे समझा था साया अपना,
वही आज बेरंग अजनबी बना।
ख्वाहिशें अब बोझ लगती हैं,
क्योंकि हकीकतों में दम नहीं बचा।
हर दिन लगता है उधार का,
ना आज अपना, ना कल का ऐतबार।
Berang Zindagi Shayari Quotes in Hindi
कुछ ख्वाब थे जो दिखे नहीं,
और जो दिखे वो सच बने नहीं।
रंग था कभी जो आंखों में,
अब वो भी खामोश सा बहा जाता है।
इश्क़ भी अब सौदे जैसा लगता है,
दिल का क्या, वो तो हर मोड़ पे बिकता है।
ज़िंदगी की किताब में रंग थे पहले,
अब सिर्फ़ स्याह स्याह लफ्ज़ बचे हैं।
जहाँ पहले रंग होते थे रिश्तों में,
अब बस मतलबों की परछाइयाँ हैं।
भीतर कुछ टूटा है शायद,
वरना चेहरे पर इतनी चुप्पी क्यों?
सपनों की तिजोरी खाली सी है,
उम्मीदें अब सिर्फ़ यादों से जिंदा हैं।
जो दिन थे वो लौट के नहीं आए,
जो आए वो बस तन्हाई लाए।
कभी दुनिया की दौड़ में आगे थे हम,
अब खुद से ही पीछे रह गए।
रातें अब गहरी लगती हैं,
क्योंकि नींद अब मेहमान बन गई।
इंसान बदल गए, बातें भी बदल गईं,
पर दिल वही बेरंग रह गया।
किस्मत ने सब कुछ दे दिया,
सिवाय उस रंग के जो दिल चाहता था।
आदतें भी अब बेरंग हो गई हैं,
ना जुनून रहा, ना कोई शौक।
दिल की आवाज़ अब सुनी नहीं जाती,
शोर तो है, पर समझा नहीं जाता।
चेहरा मुस्कुराता है दिखावे के लिए,
अंदर का रंग कोई नहीं देखता।
Berang Zindagi Shayari for Single
अकेलापन अब साथी बन गया है,
दिल का हाल किसी को कहां समझ आता है।
ना शिकायत रही, ना सहारा कोई,
बेरंग सी ज़िंदगी में अब बस मैं ही मैं।
जिसे चाहा वो किसी और का हो गया,
और मैं अपने ही दिल का मुसाफिर रह गया।
भीड़ में अकेला महसूस करना,
सिंगल होने की सच्ची परिभाषा है।
दिल को अब किसी का इंतज़ार नहीं,
खुद से ही अब प्यार करने की बारी है।
कभी तो लगता था रिश्ता जरूरी है,
अब लगता है तन्हाई ही असली सुकून है।
कभी तो किसी ने हाथ थामा होता,
शायद ज़िंदगी इतनी बेरंग ना होती।
दिल की खाली जगह अब भर नहीं सकती,
क्योंकि भरोसे की मिट्टी ही सूखी पड़ी है।
ना रूठने वाला, ना मनाने वाला,
बस मैं हूं और ये खामोश दीवारें।
इश्क़ के नाम पर अब यकीन नहीं रहा,
क्योंकि सिंगल रहते हुए चैन मिला।
कभी दिल तोड़ने वाले की तलाश थी,
अब शांति में जीने की आदत हो गई।
ना सवाल है, ना जवाब चाहिए,
इस अकेली ज़िंदगी में अब हिसाब नहीं चाहिए।
रातें अब खुद से बातें करती हैं,
सिंगल दिल की ये सच्ची साथी बनती हैं।
जिसे दिल दिया, उसने रुला दिया,
अब अकेले हँसना सीख लिया।
बिना मोहब्बत के भी अब ज़िंदगी कट रही है,
क्योंकि उम्मीदें अब मर चुकी हैं।
सिंगल रहकर भी दिल खुश नहीं है,
पर कम से कम दर्द की दुकान तो बंद है।
मोहब्बत अब किस्मत में नहीं,
और शिकायत अब किसी से नहीं।
एक अकेलापन जो समझ में आ गया,
अब भीड़ भी तन्हा लगती है।
इश्क़ ना सही, खुद से जुड़ाव हो गया,
सिंगल रहकर खुद पे अधिकार हो गया।
तन्हा रहने का दर्द बहुत गहरा है,
पर झूठे रिश्तों से बेहतर है ये सहारा।
जो थे अपने, अब अजनबी हो गए,
सिंगल दिल से फिर नये रिश्ते नहीं बने।
अब किसी को खोने का डर नहीं,
क्योंकि पास अब कोई है ही नहीं।
ना इश्क़ चाहिए, ना कहानी अब,
सिंगल दिल को बस थोड़ी शांति चाहिए।
कभी जो दिल लगाया था किसी पर,
अब उसी दिल से खुद को संभालते हैं।
सिंगल रहना अब मजबूरी नहीं,
चयन है, सुकून की पूरी गारंटी है।
तन्हा रातों से अब डर नहीं लगता,
क्योंकि आदत हो गई है चुप्पी की।
जो छोड़ गए, उन्हें धन्यवाद है,
कम से कम अकेलेपन में सच्चाई तो मिली।
अब किसी का नाम तक नहीं आता ख्याल में,
इतनी गहरी हुई है तन्हाई की चाल।
ना जुदाई का ग़म, ना मिलने की खुशी,
सिंगल दिल को अब कुछ भी नहीं बचा।
जो अकेले हैं, वो कमज़ोर नहीं,
वो वो हैं जो खुद से लड़ना जानते हैं।
Berang Zindagi Shayari for Men
मर्द हूँ इसलिए चुप रहना सीखा,
वरना दर्द तो हर दिन चीखता है।
बोझ उठाते-उठाते थक गया हूँ,
पर मुस्कुराना अब ज़िम्मेदारी बन गया है।
सबको लगता है मर्द रोता नहीं,
अरे साहब! वो बस छुपकर मरता है।
ज़िंदगी को बस निभा रहा हूँ,
अंदर से कब का टूट चुका हूँ।
कमर झुकी है बोझ से नहीं,
हालातों से लड़ते-लड़ते थक गया हूँ।
बेरंग सी ये ज़िंदगी भी मेरी है,
जिसे रंगना भूल गया ज़माना।
जो उम्मीदें थीं सबकी, पूरी करता गया,
बस अपनी ख्वाहिशें पीछे छोड़ता गया।
रिश्तों की खातिर खुद को मिटाया,
फिर भी मर्द होकर दोषी कहलाया।
हर दिन एक लड़ाई है मेरे लिए,
और हर जीत, तन्हाई है मेरे लिए।
मर्दों की ज़िंदगी में दर्द बहुत है,
पर किसे फर्क पड़ता है, जब आँसू नहीं दिखते।
बीवी, बच्चे, माँ-बाप की उम्मीदें,
और मैं… कहीं पीछे छूट गया हूँ।
मुस्कान को अपनी ढाल बना ली है,
ताकि कोई मेरे टूटेपन को ना देखे।
खुद के सपने तो कब के मर चुके,
अब तो बस दूसरों के लिए जी रहा हूँ।
जब मर्द थक जाता है,
तो बस खामोश हो जाता है।
हर तरफ बस ‘तू मर्द है’ का ताना मिला,
भावनाओं को मरने का बहाना मिला।
जज़्बातों को कड़वी चाय में घोल दिया,
ताकि कोई मेरी कमजोरी ना देखे।
हर रात सिरहाने बस एक बात होती है,
क्या कल कुछ बेहतर होगा?
कमाने वाला हूं इसलिए ज़िंदा हूं,
वरना इस बेरंग दुनिया में मेरा क्या काम?
हर ख्वाहिश अब बचपन की बात लगती है,
मर्द बनते-बनते मैं थक गया हूँ।
अगर मर्द हो तो सहना पड़ेगा,
यही तो सीखा है इस बेरंग समाज से।
दर्द को हँसी में छुपाया बहुत,
अब हँसी भी नकली लगती है।
अपनी ज़िम्मेदारियों में इतना उलझा,
खुद के लिए वक्त तक नहीं बचा।
ना शिकायत, ना शिकायत करने का हक,
क्योंकि मर्द होने की यही सजा है।
घर चलाने के लिए जज़्बात गिरवी रखे हैं,
और लोग कहते हैं ‘क्या कमी है ज़िंदगी में?’
बेरंग ज़िंदगी का सच मर्द ही जानता है,
जो जीता है, पर ज़िंदा नहीं रहता।
कामयाब भी हूं, पर खुश नहीं,
मर्दों की कहानी कुछ यूँ ही अधूरी सी है।
ज़िम्मेदारियों का रंग इतना चढ़ा,
कि अपने रंग पहचान ही नहीं पाया।
दर्द सुनाने की आदत नहीं,
क्योंकि मर्द हूँ – यही काफी है।
सारे रिश्ते निभाते-निभाते,
अब खुद से रिश्ता टूट गया है।
हँसता हूं ताकि लोग न रोएं,
पर अंदर से हर दिन मरता हूं।
Berang Zindagi Shayari for Girl
ख्वाबों में उड़ने का हक़ था कभी,
अब घर की दीवारों में क़ैद सी हूं।
हँसती हूं, सजती हूं, पर दिल उदास है,
क्योंकि मेरी खुशी अब दूसरों के पास है।
जो दिल कभी पंखों से भरा था,
अब ज़िम्मेदारियों की जंजीरों में बंधा है।
लोग कहते हैं लड़की हो, सहना सीखो,
पर कोई नहीं पूछता क्या चाहना चाहती हूं।
खुद के लिए जीना गुनाह सा लगता है,
जब हर ख्वाहिश समाज से डरती है।
बेटी थी तो सपने देखे,
बहू बनी तो सपने भूले।
इस बेरंग ज़िंदगी में आईने से डर लगता है,
क्योंकि चेहरा मुस्कराता है, पर आंखें चुप हैं।
मेरा मन रंगों का पिटारा था कभी,
अब सिर्फ़ ख़ालीपन का किनारा है।
जिसे लोग ‘कमज़ोरी’ समझते हैं,
वो औरत की सबसे बड़ी ताक़त होती है।
हर रोज़ सजती हूं दूसरों के लिए,
पर खुद से अब आंखें नहीं मिलतीं।
कभी माँ-पापा की राजकुमारी थी,
अब ज़िम्मेदारी की मल्लिका हूं।
शादी के बाद सब कुछ बदल गया,
बस मेरा मन वही का वही रह गया।
सपनों को दहेज में बांध दिया,
औरत की दुनिया यूँ ही सीमित कर दी गई।
जो अपने थे, अब सलाहकार बन गए,
और मेरी चुप्पी को कमजोरी समझने लगे।
मेरी मुस्कान किसी को सुकून देती है,
पर मेरी तन्हाई किसी को नहीं दिखती।
हर त्याग को इज्ज़त नहीं मिलती,
और हर लड़की को ज़िंदगी नहीं मिलती।
खुद से खुद को हर रोज़ छुपाती हूं,
और फिर भी सबको खुश रखती हूं।
कभी किसी ने पूछा नहीं,
कि मैं कौन हूं इस रिश्तों की भीड़ में।
जो सपने थे वो किचन में गल गए,
और मेरी ज़िंदगी सिर्फ़ सेवा बन गई।
मैं लड़की हूं, यही मेरी पहचान है,
और इसी पहचान ने मुझे खो दिया।
ना कहने का हक़ तक नहीं,
और हाँ कहने में भी डर लगता है।
जब तक चुप हूं, तब तक सब ठीक है,
बोलूं तो बद्तमीज़ कहलाती हूं।
लड़की होना आसान नहीं,
हर दिन एक नई परीक्षा है।
शादी हुई तो खुद को भूल गई,
अब पहचान ही धुंधली सी लगती है।
अपनी खुशी की बात सोचती हूं,
तो दूसरों की नाराज़ी याद आ जाती है।
ये बेरंग सी ज़िंदगी मेरी नहीं थी,
पर अब इसे ही अपनाना पड़ा।
रिश्तों में खुद को घोल दिया,
अब खुद का स्वाद ही नहीं रहा।
कुछ नहीं चाहिए अब दुनिया से,
बस खुद के लिए थोड़ी जगह चाहिए।
लड़की हूं इसलिए ज़िंदा हूं,
पर जी नहीं रही।
जो दर्द सहा, उसे कविता बना लिया,
ताकि लोग इसे खूबसूरत समझें।
Berang Zindagi Shayari Short
हँसी तो है, पर वजह नहीं।
जी तो रहा हूँ, बस रंग नहीं।
सब है ज़िंदगी में, बस रंग नहीं।
बेरंग हूं, मगर जिंदा हूं।
आँखें खुली हैं, पर सपने मर गए।
नाम का सुकून, दर्द असली।
ख्वाब देखे थे, अब खाली दीवारें हैं।
ज़िंदा हूं, यही बड़ी बात है।
चुप हूं, इसका मतलब खुश नहीं।
तन्हा हूं, पर टूटे नहीं।
मुस्कान बची है, पर दिल खो गया।
वक्त बदल गया, मन वहीं रुका।
भीड़ में भी खालीपन सा है।
रिश्ते बचे हैं, रंग खो गए।
बाहर चमक है, अंदर धुंध।
आदत बन गई है सहने की।
ये बेरंग दिन, रातें चुप हैं।
अब शोर नहीं चाहिए, सुकून चाहिए।
उम्मीदें थीं, अब आदतें हैं।
दर्द समझने वाला कोई नहीं।
सब कुछ है, फिर भी अधूरा सा हूँ।
मुस्कुराने की वजह खो दी है।
बेवजह की हँसी, असली दर्द।
खुद से ही अब बातें होती हैं।
रिश्ते निभा रहे हैं, जी नहीं रहे।
तन्हा हूं, मगर झूठा नहीं।
हर दिन एक जैसा लगता है।
बेरंग सुबह, उदास शाम।
सुकून नहीं, बस सिलसिले हैं।
अंदर कुछ टूटा है, जिसे जोड़ा नहीं।
Berang Zindagi Shayari Captions for Instagram in English
Life has color, but my heart feels grey.
Lost in a crowd, found only silence.
Smiles outside, storms inside.
Life without love is just survival.
I breathe, but I don’t feel alive.
Painted dreams, but the brush was broken.
Hiding pain behind filters and captions.
My story? Unseen, unheard, unspoken.
No color can fill this emptiness.
A beautiful face, a tired soul.
Laughing loud, dying silent.
Everything’s perfect, except me.
Eyes don’t lie, even when lips do.
Living in rewind, dying in silence.
My smile is stronger than my pain.
Broken inside, but dressed up fine.
Lost moments, faded feelings.
A soul that forgot how to shine.
Heartbeats echo in hollow rooms.
Woke up tired of being okay.
Sunshine outside, darkness within.
Nobody noticed the pain I masked.
This heart beats, but for whom?
Healing in pieces, smiling in silence.
They see the face, not the phase.
Reality hurts more than dreams.
I miss who I used to be.
Surrounded by people, yet so alone.
Berang life, bold captions.
Sometimes the quietest ones cry the loudest.
Berang Zindagi Shayari for Facebook
हाल पूछने वाले बहुत हैं,
पर दर्द समझने वाला कोई नहीं।
तस्वीरें मुस्कुराती हैं,
पर पीछे की कहानी बेरंग है।
स्टेटस में हँसी है,
दिल में सन्नाटा है।
हर लाइक के पीछे,
एक अधूरी सी दुआ छुपी है।
जो लिखता हूं, वो जी चुका हूं।
ये ज़िंदगी अब बस चल रही है,
रंग तो बहुत पहले छूट गए।
पोस्ट में सब कुछ अच्छा लगता है,
पर असल में कुछ भी ठीक नहीं।
फेसबुक पर रिश्ते जुड़ते हैं,
असल में दिल टूटते हैं।
दुनिया कहती है ‘Strong हूं’,
मैं कहता हूं ‘थका हुआ हूं’।
हँसी वाला DP,
दर्द वाला दिन।
लाइफ अपडेट करता हूं रोज़,
पर हालात वहीं के वहीं हैं।
दोस्ती, प्यार, रिश्ते –
सब जैसे पोस्ट बनकर रह गए हैं।
हर पोस्ट में मुस्कान है,
पर असलियत में खामोशी है।
जो दिल से निकले, वो शब्द बन जाते हैं,
और जो अंदर रह जाए, वो घाव।
लाइक्स मिलते हैं दुखों पर भी,
अब कौन क्या समझे!
स्टोरी में सब चकाचक है,
दिल की स्टोरी कोई नहीं पढ़ता।
स्टेटस डालकर कुछ पल सुकून मिलता है,
पर फिर वही खालीपन लौट आता है।
फेसबुक में फ्रेंड्स हजार हैं,
पर हाल पूछने वाला कोई नहीं।
दर्द को स्टेटस में लिखा है,
ताकि कोई तो पढ़े मेरी ख़ामोशी।
रिश्ते अब इनबॉक्स में हैं,
दिल में नहीं।
क्या करूं? सबको दिखाना पड़ता है,
कि ज़िंदगी रंगीन है!
कभी-कभी DP बदलने से,
मन नहीं बदलता।
जिस दिन मैं वाकई खुश होऊंगा,
उस दिन कुछ पोस्ट नहीं करूंगा।
लोग पूछते हैं – ‘क्यों नहीं एक्टिव हो?’
मैं पूछता हूं – ‘क्यों हो?’
ज़िंदगी की हर मुस्कान को,
मैंने इमोजी में छुपा दिया।
दोस्त हैं बहुत,
पर समझने वाला कोई नहीं।
हर शब्द, हर तस्वीर,
सिर्फ़ एक कोशिश है – रंग भरने की।
लोग कॉमेंट करते हैं – ‘Stay strong’,
काश कोई आकर गले लगाता।
दिल टूटा है, पर शेयर नहीं कर सकता,
क्योंकि ये फेसबुक है, डायरी नहीं।
हर लाइक के पीछे,
एक अधूरी कहानी है।
Berang Zindagi Shayari for WhatsApp Status
हर सुबह उठते ही वही सूनापन।
दिखता हूं ठीक, पर टूट चुका हूं।
वक़्त सब सिखा देता है… हँसते हुए सहना भी।
दिल मुस्कुराता है, पर आँखें चुप हैं।
साइलेंट हूं, मतलब सब ठीक नहीं।
ज़िंदगी बिना रंग की किताब बन गई है।
बातें कम हुईं, तन्हाइयां ज़्यादा।
बस जी रहा हूं… जैसे चलती ट्रेन में बैठा हूं।
हर दिन एक जैसा लगता है अब।
मुस्कान दिखती है, सुकून नहीं।
जबसे उम्मीदें छोड़ी हैं, चैन आया है।
हर कोई कहता है ‘Busy हूं’,
कोई नहीं कहता ‘कैसे हो?’
दिल की दुनिया बहुत सुनी है यार।
कुछ लोगों की गैर-मौजूदगी भी भारी पड़ती है।
अब हाल पूछने का रिवाज नहीं रहा।
चुप रहना अब मेरी ताक़त है।
व्हाट्सएप स्टेटस में हर दर्द छुपा है।
अब लिखने का मन नहीं करता,
क्योंकि पढ़ने वाला कोई नहीं।
तन्हाई से अब लगाव हो गया है।
ज़िंदगी से मोहब्बत कम हो गई है।
पहले लोग याद करते थे, अब ब्लॉक करते हैं।
अब कोई बात करे या न करे,
फर्क नहीं पड़ता।
पहले प्यार था, अब फॉर्मैलिटी।
हँसी में दर्द है, पर इमोजी में दिल।
अब किसी का स्टेटस देख कर मुस्कुराता नहीं।
स्टेटस बदलने से हालात नहीं बदलते।
दिल अब न किसी से लगाना चाहता है,
न ही टूटना।
ये ज़िंदगी अब सिर्फ़ समय काटना है।
हर दिन एक ही सा लगता है – बेरंग।
अब ‘Seen’ के बाद रिप्लाई की उम्मीद नहीं।
बेरंग ज़िंदगी में अगर कोई रंग भर सकता है, तो वो है — शब्दों की ताक़त।
उम्मीद है कि इस ब्लॉग में दी गई 240से भी ज़्यादा शायरी ने आपके दिल की बात कही होगी। ये शायरी सिर्फ़ पढ़ने के लिए नहीं, महसूस करने के लिए हैं। आप इन्हें अपने सोशल मीडिया कैप्शन, स्टेटस, या दिल के किसी कोने में सहेज सकते हैं। अगर आपको ये पोस्ट पसंद आई हो तो इसे शेयर ज़रूर करें, ताकि किसी और की भी बेरंग ज़िंदगी में थोड़ी सी रोशनी आ सके। और हां, ब्लॉग पर वापस आना मत भूलिए, हम हर दिन नई और अनसुनी शायरी आपके लिए लाते रहेंगे।
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